जातिगत भेदभाव हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता, संगठित होना इस काल की आवश्यकता: स्वामी विवेकानंद
पश्चिम का अन्धानुकरण भारत के लिए भयंकर खतरा... जातिगत भेदभाव हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता - इन विचारों के साथ भारत का चिंतन करते थे विवेकानंद।
पश्चिम का अन्धानुकरण भारत के लिए भयंकर खतरा... जातिगत भेदभाव हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता - इन विचारों के साथ भारत का चिंतन करते थे विवेकानंद।
विभाजन के दौरान पाकिस्तान में हिन्दुओं-सिखों की मदद के लिए न आई कोई राजनीतिक पार्टियाँ और ना ही आए वह नेता, जो उस समय इतिहास में खुद को दर्ज कराना…
"यह जननी जन्मभूमि भारत माता ही मानो आराध्य देवी बन जाए। अपना सारा ध्यान इसी एक ईश्वर पर लगाओ, हमारा देश ही हमारा जाग्रत देवता है।"
"स्वामी विवेकानंद ने कभी कोई राजनीतिक संदेश नहीं दिया, लेकिन उनके संपर्क में आने वालों में देशभक्ति और राजनीतिक मानसिकता की भावना विकसित हुई।"
स्वामी विवेकानंद के भाषणों/विचारों ने कई अफ्रीकी नेताओं के लिए नीतियाँ बनाने, अपने नागरिकों को एक साथ लाने का मार्ग प्रशस्त किया।
''स्वामी विवेकानंद के कार्यों को पढ़ने के बाद, देश के लिए मेरी देशभक्ति में हजार गुणा वृद्धि हुई।'' - महात्मा गाँधी ने यह तब कहा था जब...
बाल गंगाधर तिलक से स्वामी विवेकानंद की पहली भेट बम्बई से पुणे जाते समय यात्री डिब्बे में हुई थी। विवेकानंद के पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे और...
“निःसंदेह स्वामी विवेकानन्द धर्म महासभा के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रभावशाली। कट्टर से कट्टर ईसाई भी कहते हैं कि वे मनुष्य में महाराज हैं।”